जिनको ख्वाबों में देखता था दिनरात
उन्होनें भुला दिया ख्वाबों की तरह
जिनकी आश् थी अजीब प्यास की तरह
गिरा दिया हमें आसुओं की तरह
अब क्या शिकायत करें हम किशीसे
बारिश एक रात की थी छत टपकती रही उम्र भर
उन्होनें भुला दिया ख्वाबों की तरह
जिनकी आश् थी अजीब प्यास की तरह
गिरा दिया हमें आसुओं की तरह
अब क्या शिकायत करें हम किशीसे
बारिश एक रात की थी छत टपकती रही उम्र भर