तेरी तारीफ में दो शब्द....

July 26, 2011

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आँसू जो तूने दिए थे, आज भी उसे संभाल के रख्खा है,
तूने भी तो वो सूख न जाए उसका बखूबी ख़याल रख्खा है
जख्म जो तूने दिए थे वो तो वक़्त के साथ भर जाएँगे
निशान न मिटे उम्रभर, तूने उसका भी तो ख़याल रख्खा है
लोग मिसाल देते रहे हमारे प्यार के,हम तो मुस्कराते ही रहे
परदा उठ ना जाए हक़ीकत से, तूने उसका भी तो ख़याल रख्खा है
दुनिया बहोत छोटी है, कहीं किसी मोड़ पर तो मिलना ही होगा
तूने नज़रें चुराकर रहगुजर से गुजरने का तो ख़याल रख्खा है
एक दिली ख्वाहिश थी रुखसत से पहले, तुज़े माफ़ करने की
लेकिन तूने भी तो गुनाह कबूल ना करने का ख़याल रख्खा है
तेरी इसी आदत ही ने मुज़े चैन से जीने न दिया जानेमन,
मर न जाएँ हम चैन से उसका भी तो ख़याल रख्खा है

हम और वक़्त....मानस

July 20, 2011

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वक़्त वक़्त कि बात है कि वक़्त भी बदल जाता हैं ,
जन्मों जनम का रिश्ता भी पल मे बदल जाता हैं
मह्फ़िल् की तरह पीते थे हम् जब् तक प्यार था हमसे
अब तो आँसू भी पीते है तो , आँखें भी बुरा मान जाती हैं
बारिश की ख्वाहिश थी सबको , आश ही लगाये बैठे थे हम
बिजली गिरा कर घर पर मेरे, बादल आगे निकल जाते है
न जाने क्यूँ शिकायत भी नहीं कर सकते अपने दिल से हम
बुरे वक़्त में साया तो क्या, धड़कन भी साथ छोड़ जाती है