अगर आपकी मदभरी निगाहें देखले मुझे ये खाली जाम भर जाएगा
हुस्न को यूँ ना छुपाएया हमसे उसे छू लेंगे तो खुद ही निखर जाएगा
हर सुबह की शाम ज़रूर होती है शाम तक देखनें दो उसे जी भर जाएगा
शरमाने की भी एक हद होती है यूँ शरमाओगे तो दम घुट जाएगा
कुदरत ने बना तो दिया आपको अब ना छुपाओ उसे वक्त ठहर जाएगा
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