जिंदगी मिली थी किस्तों में
कुछ और किश्त चुकानें बाकी है
रोज सुबह पहनता हूँ नया कफ़न
कुछ और पहनना बाकी है
कर्ज़ दोनों का चुकाना है मुज़को
अदा किसका करूँ पहले ए कफ़न
अभी जिंदगी का चुकाना बाकी है
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