समंदर भी वही थे किनारे भी वही थे
मगर लहरें बदल गयीं थी
पत्तों ने सहारा लिया था साखों का
हवा के झोखों ने जुदा कर दिया
उन्हें क्या पता की मौसम बदल गये थे
दिन भर बॉज़ उठाया था जिंदगी का
अब तो सहारे भी थे,मगर क्या पता की
कंधे वही थे सिर्फ़ बॉज़ बदल गये थे
जिंदगी के सफ़र में आगे बढ़ना था
रास्ते भी सही थे मंज़िल भी वही थी
सिर्फ़ मालिके मकान बदल गये थे
सच कभी बदलता नहीं है ऐसे सुना था
सवाल वही थे जवाब भी वही थे
जवाबों के मायने बदल गये थे
बहुत रात हो चुकी 'मानस' अब सो जा
शब्दों को भी सोने दे, मगर उन्हें कहाँ चैन?
वो तो अभी भी करवट बदल रहे थे
शब्द भी वही थे शब्दकोष भी वही थे
हर बात के मतलब बदल रहे थे
सोचा, चलो वापिस चलता हूँ जहाँ से आया था
वापसी का किराया भी दे कर आया था
किनारे भी वही थे कश्ती भी वही थी
माझी ही बदल गये थे
समंदर भी वही थे किनारे भी वही थे
मगर लहरें बदल गयीं थी
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