बड़ी आस से दिया था कोरा कागज उनको
कुछ प्यार के दो बोल लिख देंगे, मगर
कश्ती बना कर पानी में बहा दिया
कागज की कश्ती को किनारे नही मिलते
शायद यही लिखना होगा उनको
टूटे दिल के साथ उम्र के पड़ाव पर
फिर मिल गये,दर्द था आँखों में
कश्ती बनाना था तुमको,मेरी नादिया के
क्या लिखाई करती मैं
प्यार की भाषा तो समज़ते नहीं
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