शायद..
आँख से आँसुओं का रिश्ता पुराना है
सभी रिश्तों की कसोटी पर साथ देते है
खुशी हो या गम, आँसू हर जगह होते है
मगर ये भी शायद खुद पर ही रोते हैं
पता नहीं चलता कब बह निकलेंगे आँखों से
बहोत मुश्किल है तय करना रिश्तों की तरह
ये साथ निभाते है या साथ छोड़ के जाते हैं
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