December 27, 2010

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हम थे कुछ हमारे थे कुछ पराए थे
वक्त के साथ कुछ परायों के साए थे
जिंदगी ने हमें जिंदगी के साथ साथ
जिंदगी के आयने दिखलाए थे
सामे ज़िदगी पे साए भी लंबे थे
मगर अपने भी छोटे नज़र आए थे
किसिको अपना कहा किसी को पराया
साथ आया सिर्फ़ परायों का साया
दुखी ना हो मन को मनाया
आख़िर मन ही मन के काम आया
manash