आशा

August 29, 2011

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बहोत सारे लोग बहुत सारी भाषा

मगर कोई ना बोले प्यार की परिभाषा

शुरुआत करे जो कोई एक बोलना ये भाषा

तो बन जाए एक नई दुनिया की आशा

ना कोई हो दुश्मन ना कोई प्रतिस्पर्धी

ना कोई पराया हो ना कोई अंजाना

हर चेहरे पे हो जिंदगी की अभिलाषा

यही चाहना करते है ना मीले हमे निराशा

एक गुनाह और सही..........

August 28, 2011

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एक गुनाह और सही..........
एक गुनाह छुपाने के लिए दूसरा गुनाह कर बैठे
खुदा समझ तुझे बंदगी करने का गुनाह कर बैठे
कुछ ख्वाहिसे लेकर हम गुज़रे थे तेरे दर से, मगर
तेरी गली के मोड़ से पुकारने का गुनाह कर बैठे
अंज़ामें इश्क़ में दिल टूटने की तावारिख से वाकिफ़ थे
मगर वही वाक़या फिर से दोहराने का गुनाह कर बैठे
आजकल कहाँ मिलते हैं मोती समंदर की तह में, लेकिन
तेरे इश्क़ में डूबकर गोता लगाने का गुनाह कर बैठे
अब क्या बताएँ तुज़े कितने पागल थे तेरे इश्क़ में हम
दिल का राझ खोलने का मासूम सा गुनाह कर बैठे
ढूंढकर लाए कोई एक मसूका, जिसने सही प्यार किया हो
हर बार हमीं, नकाब उठाने का गुनाह कर बैठे
नज़म क्या पढ़ दी अपने महफ़िल में सुरीली आवाज़ से
आपके रसभरे होंठों को चूमने का गुनाह "मानस" कर बैठे
८-२९-२०११

शायद....

August 21, 2011

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शायद..
आँख से आँसुओं का रिश्ता पुराना है
सभी रिश्तों की कसोटी पर साथ देते है
खुशी हो या गम, आँसू हर जगह होते है
मगर ये भी शायद खुद पर ही रोते हैं
पता नहीं चलता कब बह निकलेंगे आँखों से
बहोत मुश्किल है तय करना रिश्तों की तरह
ये साथ निभाते है या साथ छोड़ के जाते हैं

अभागन किश्मत .....

August 17, 2011

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जब भी सहारा ढूँढनें की कोशिश की
बेसहारा कर दिया आपने
हाथ बढ़ाया था उम्मीद के साथ
किनारा कर लिया आपने
क्या शिकवा, क्या शिकायत क्या गिला आपसे
मोका ही नहीं दिया आपने, फिर भी इक
तमन्ना थी आपके साथ दो पल गुजारने की
और जनाज़े को सहारा दे दिया आपने
कब्र से देखने की तमन्ना थी मगर
फूलों की चादर रख दी आपने

प्यार की भाषा

August 4, 2011

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बड़ी आस से दिया था कोरा कागज उनको
कुछ प्यार के दो बोल लिख देंगे, मगर
कश्ती बना कर पानी में बहा दिया
कागज की कश्ती को किनारे नही मिलते
शायद यही लिखना होगा उनको
टूटे दिल के साथ उम्र के पड़ाव पर
फिर मिल गये,दर्द था आँखों में
कश्ती बनाना था तुमको,मेरी नादिया के
क्या लिखाई करती मैं
प्यार की भाषा तो समज़ते नहीं