फर्क इतना ही.......

March 26, 2011

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जब भी कोई हिस्सा कटा शरीर का
खून ही निकला है
आपकी नज़र में आपका खून था
मेरा पानी ही निकला है
दर्द का जब भी कोई नुश्का मिला
आपकी दवा थी
मेरा जहर ही निकला है
मैने जो खोया वो मेरा था
जो पाया वो आपका निकला है
मुश्किलों का मुकाम जब भी ढूँढा
पता आपका ही निकला है

मन के रिश्ते

March 9, 2011

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लोग कहते है रिश्ते बदल जाते है
वक्त के साथ मौसम भी बदल जातें है
सिंचा था खूने जिगर से जिसे
वो लहू के रंग भी बदल जाते हैं
नज़र के ओज़ल होते ही निगाहें बदल
जाती है जबसे इंसान ने सम्भाला है इसे
रिश्तों को कभी खुदा माना जाता था जहाँ
मज़हब के बदलते ही खुदा भी बदल जाते हैं