हम और वक़्त....मानस

July 20, 2011

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वक़्त वक़्त कि बात है कि वक़्त भी बदल जाता हैं ,
जन्मों जनम का रिश्ता भी पल मे बदल जाता हैं
मह्फ़िल् की तरह पीते थे हम् जब् तक प्यार था हमसे
अब तो आँसू भी पीते है तो , आँखें भी बुरा मान जाती हैं
बारिश की ख्वाहिश थी सबको , आश ही लगाये बैठे थे हम
बिजली गिरा कर घर पर मेरे, बादल आगे निकल जाते है
न जाने क्यूँ शिकायत भी नहीं कर सकते अपने दिल से हम
बुरे वक़्त में साया तो क्या, धड़कन भी साथ छोड़ जाती है

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