हिसाब

December 21, 2011

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दिल के कुछ एहसास को कागज में समेट कर भेजा था
जो अल्फ़ाज़ निकले न ज़ुबाँ से उसे भी साथ भेजा था
शायद, काशिद रुक गया होगा कहीं रास्ते में वरना
"मानस" ने आपका नामों-निशा सही लिख कर भेजा था
इंतजार क्या करूँ मैं वक़्त का ? वक़्त रूका न मेरे लिए
जिंदगी की बाकी साँसों का ही हिसाब लिखकर भेजा था

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