November 15, 2010

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आज हम यहाँ है कल कोई और होंगे
जिंदगी के सफ़र में यही दस्तूर होंगे
महफ़िल सजाई है आपने अपनी यूँही
आप वहाँ सिर्फ़ मेहमान ही और होंगे
आप हों ना हों दुनिया ज़रूर होगी
ज़िदगी की डोर कहीं और होगी
सोचता हूँ क्या जिंदगी, मोत के बाद होगी
फिर सोचता हूँ, इससे तो बेहतर ही होगी
जीलो जितना जी सको एक दिन के लिए
कल की सुबह भी एक नयी सुबह होंगी

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