आशा

August 29, 2011

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बहोत सारे लोग बहुत सारी भाषा

मगर कोई ना बोले प्यार की परिभाषा

शुरुआत करे जो कोई एक बोलना ये भाषा

तो बन जाए एक नई दुनिया की आशा

ना कोई हो दुश्मन ना कोई प्रतिस्पर्धी

ना कोई पराया हो ना कोई अंजाना

हर चेहरे पे हो जिंदगी की अभिलाषा

यही चाहना करते है ना मीले हमे निराशा

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