इंसानियत ?

September 23, 2011

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आकाश को मिले चाँद, सूरज और सितारे
साथ में सहारा मिला बादलों का
धरती को मिली समुंदर की गहराई
और साथ मिले पर्वतों की उँचाई भी
नदियाँ और पेड़ के मिले सौगाद भी
हमको मिला सब कुछ बिना माँगे ही
नहीं समझ सके रिश्तों की गहराई को
नहीं समझ सके प्यार की उँचाई को
सामे जिंदगी में लेके घूमते रहे तन्हाई को
सूरज की गर्मी ने चुरा लिया पानी धरती से
और वक़्त आने पर
प्यार की बौछार से लौटा भी दिया
फ़र्क इतना है की हमने लिया सब कुछ
इस्तेमाल किया, और लौटना भूल गये

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