गम का एहसास

April 4, 2012

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अगर वक़्त मिल जाए कभी, हमारी महफ़िल में आ जाना
आपको हम तन्हाई का मतलब समझा देंगे
महफ़िल सजाने के लिए लगाए पर्दों के पीछे छिपे
दर्दे-राज में हमराज़ भी बना लेंगे
आपको जिन लोंगों ने सर आँखों पे बिठा रखा था
वो अब हमारी महफ़िल में बेहोश बैठे हैं
उनके दिलों पे बनी सिलवट भी दिखा देंगे
जो मधुर अल्फ़ाज़ आपके दिलों बहलाते रहे
मानस के दिलों से निकले उन अल्फाजों का
एहसासे दर्द भी बता देंगे
और बहोत कुछ बताना है ए हुश्ने-चमन तुमको
कैसे डूब जाते हैं 'दर्द' महफ़िल में वो भी बता देंगे
हो सकता है की तुम खो जाओ हमारी महफ़िल में
मगर जानेमन तुम्हें घर का रास्ता भी बता देंगे
हमारा क्या हम तो बिखरे हुए दिलों की महफ़िल यूँ ही
सजाते रहेंगे और हुश्न से मिले दर्द छुपाते रहेंगे
अगर शराब ग़लत कर सकती हर गम को
महफ़िल में इतना शोर शराबा न होता
कफ़न ओढ़ कर बैठे उन मरीजों का पता भी बता देंगे

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